ऑंखें
न मानोगे तो मत मानो , क़सम तो मैं नहीं खाता ।। इशारे जो न समझे उसको मैं कहके […]
न मानोगे तो मत मानो , क़सम तो मैं नहीं खाता ।। इशारे जो न समझे उसको मैं कहके […]
जो थककर दरख़्तों के साये में आकर , मैं बैठे हूॅं जब-जब भी आराम करने ; मिले चंद लम्हों […]
हाॅं ! ये कोमलता में कम होने के कारण से , हरसिंगारों से नि:संशय कम लहकता है ।। हमने […]
उसको हर शख़्स गिरफ़्तार देखना चाहे , गर जो होगा वो कहीं भी बॅंधा मैं खोलूॅंगा ।। उसको तोले […]
न तहक़ीकात के मुश्किल सवालों के जवाबों में ।। न तहरीरों में , दस्तावेजों में , ना तो हिसाबों […]
जबसे तूने कर दिया हमको नज़र अंदाज़ हम , इक परिंदा होके भूले जाऍं सच परवाज़ हम ।। जी […]
जिसने ये मुझसे क़सम खाकर कहा , वो मेरा कमबख़्त जिगरी यार है ।। इस क़दर कि मेरी ख़ातिर […]
पुत्रियाॅं पुत्रों से बढ़कर हो रही है सिद्ध सब ।। आ रहा है शीघ्र ही वह युग विवाहों में […]
अपनी पीड़ाऍं किसी को मत बताना ।। शोक में तो बन विदूषक खिलखिलाना ।। लोग उड़ाते हैं हॅंसी दुखियों […]
वो छुपकर बादलों की ओट से सुंदर सी इक लड़की , मेरी दो बूॅंद भर की याचना पर अपने […]