ऑंखें

न मानोगे तो मत मानो , क़सम तो मैं नहीं खाता ।। इशारे जो न समझे उसको मैं कहके […]

साया

जो थककर दरख़्तों के साये में आकर , मैं बैठे हूॅं जब-जब भी आराम करने ; मिले चंद लम्हों […]

टेसू

हाॅं ! ये कोमलता में कम होने के कारण से , हरसिंगारों से नि:संशय कम लहकता है ।। हमने […]

दास्तां

न तहक़ीकात के मुश्किल सवालों के जवाबों में ।। न तहरीरों में , दस्तावेजों में , ना तो हिसाबों […]

परिंदा

जबसे तूने कर दिया हमको नज़र अंदाज़ हम , इक परिंदा होके भूले जाऍं सच परवाज़ हम ।। जी […]

अपनी पीड़ाऍं

अपनी पीड़ाऍं किसी को मत बताना ।। शोक में तो बन विदूषक खिलखिलाना ।। लोग उड़ाते हैं हॅंसी दुखियों […]