■ मुक्तक : 1 – हँस हँस के करे माफ़ Posted on January 20, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments हँस-हँस के करे माफ न रो-रो के सज़ा दे ॥ अब हिज़्र का ग़म मुझको तो मिलने का मज़ा दे ॥ कल चाह थी मिल जाती रे जीने से रिहाई , अब चाहूँ कि रब मुझको कभी भी न क़ज़ा दे ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,333