■ मुक्तक : 4 – दुनिया का अनोखा ही Posted on January 23, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments दुनिया का अनोखा ही कारबार हो रहा ।। अब भीख मँगाना भी रोज़गार हो रहा ।। इतना है मुनाफ़े का काम ये कि शौक़ से , इसमें पढ़े-लिखों का तक शुमार हो रहा ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,298