■ मुक्तक : 5 – अब यास से Posted on January 26, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments अब यास से है अपने , लबरेज़ दिल का आलम ।। उम्मीद की बिना पर , अब तक रहे थे कायम ।। जब हर तरफ़ मनाही , है चप्पा-चप्पा नफ़्रत , बतलाओ किस बिना पे , ज़िंदा रहें भला हम ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,563