■ मुक्तक : 6 – कि जैसे आपको नीर Posted on January 26, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments कि जैसे आपको नीर अपने घर का क्षीर लगता है ।। ज़रा सा पिन किसी सुल्तान की शम्शीर लगता है ।। तो फिर मैं क्या ग़लत कहता हूँ मुझको शह्र गर अपना , भयंकर गर्मियों में वादी-ए-कश्मीर लगता है ? –डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,982