■ मुक्तक : 17 – कैसी तक़्दीर Posted on February 1, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments कैसी तक़्दीर हमने पायी है ? ख़ुद की मै ग़ैर है परायी है ।। लोग पी-पी के झूमते डोलें , अपने हिस्से में प्यास आयी है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,557