■ मुक्तक : 19 – कंघी कर कर Posted on February 2, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) कंघी कर-कर ज़ुल्फों वाला , गंजा हो बैठा ।। तक-तक चमचम आँखों वाला , अंधा हो बैठा ।। सूरज बनने की चाहत में , ख़ुद को आग लगा , बेचारा जुगनू बर्फ़ानी , ठंडा हो बैठा ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,154