■ मुक्तक : 26 – मेरी सूरत पे Posted on February 8, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments मेरी सूरत पे ही जाकर न तुम अटक जाना ॥ मेरी सीरत मेरी फ़ित्रत भी ग़ौर फ़रमाना ॥ इश्क़ के वास्ते इक नौजवाँ में जो लाज़िम , गर न मुझमें हों तो बेशक़ न करना ठुकराना ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,574