■ मुक्तक : 31 – पूरे ग़ायब से Posted on February 10, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments पूरे ग़ायब से नुमूदार क़मर कर दूँ मैं ॥ ख़ुर्द सा गाँव ये मेरा है नगर कर दूँ मैं ॥ दिल ये चाहे कि इसी एक ही मक़्सद को ले , ज़िंदगी अपनी बची जितनी बसर कर दूँ मैं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,461