■ मुक्तक : 35 – हंस सभी मैं कौआ जैसा Posted on February 10, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) हंस सभी मैं कौआ जैसा ॥ सब सुंदर मैं हौआ जैसा ॥ अपने यारों में लगता हूँ , सब बोतल मैं पौआ जैसा ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,819