■ मुक्तक : 37 – धोबी से दूर गदहा Posted on February 10, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments धोबी से दूर गदहा , मटका कुम्हार से ॥ भंगी से दूर झाड़ू , चमड़ा चमार से ॥ आती हो शर्म करते पुश्तैनी काम जब , बैठें न किसलिए फिर कुछ रोज़गार से ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,566