■ मुक्तक : 48 – हम निगाहों में Posted on February 13, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments हम निगाहों में किसी की कभी न जम पाए ॥ हम किसी दिल में न दो दिन से ज्यादा थम पाए ॥ हर जगह अपनी ग़रीबी अड़ी रही आगे , कोई फ़र्माइशे महबूब उठा न हम पाए ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,451