■ मुक्तक : 53 – मचलती उथली ये Posted on February 14, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments मचलती-उथली ये मेरी डुबोने ताड़ सी हस्ती ।। विकट तूफ़ाँ उठाती है ये अदना सी नहर बस्ती ।। उसे मालूम क्या मैंने भी अबके कसके ठानी है , लगाकर ही रहूँगा पार अपने इश्क़ की कश्ती ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,512