■ मुक्तक : 58 – टीले से पत्थरों का Posted on February 18, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments टीले से पत्थरों का हो गया पहाड़ सा ।। नाजुक से पौधे से बना कँटीले झाड़ सा ।। जो कुछ हूँ फ़ख्र है ख़ुद अपनी वज़्ह से ही हूँ , अब बोनसाई हूँ या बाँस हूँ या ताड़ सा ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,562