■ मुक्तक : 66 – देखने में सभ्य Posted on February 22, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments देखने में सभ्य अंदर जंगली है आदमी ।। शेर-चीते से भयंकर और बली है आदमी ।। जानवर प्रकृति का अपनी पूर्ण अनुपालन करें , अपने मन मस्तिष्क के कारण छली है आदमी ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,454