■ मुक्तक : 67 – सामान यक़ीनन Posted on February 23, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments सामाँँ तो यक़ीनन कुछ कम दाम का निकलेगा ।। लेकिन कबाड़ में भी कुछ काम का निकलेगा ।। तलवार शिवाजी-टीपू की न मिलेगी हाँ , चाकू-छुरी या हँसिया हर आम का निकलेगा ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,134