■ मुक्तक : 70 – अब जब दाँत Posted on February 23, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments अब जब दाँत रहे ना बाक़ी , पान सुपाड़ी लाये हो ।। पीने वाला उठ बैठा तब , दारू ताड़ी लाये हो ।। करवाया तब ख़ूब सफ़र , पैदल जब छाले पाँव में थे , अब क्या मतलब मंज़िल पर तुम , मोटर गाड़ी लाये हो ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,159