■ मुक्तक : 74 – जहाँ रोना फफक Posted on February 24, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments जहाँ रोना फफक कर हो , वहाँ दो अश्क़ टपकाऊँ ।। ठहाका मारने के बदले बस थोड़ा ही मुस्काऊँ ।। दिमागो दिल पे तारी है , जुुनूूँ इतना किफ़ायत का , जो कम सुनते हैं उनसे भी , मैं धीमे-धीमे बतियाऊँ ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,550