■ मुक्तक : 82 – हथ तोड़ दे Posted on March 5, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments हथ तोड़ दे मत हथ छोड़ मगर ॥ मुँह तोड़ दे मत मुँह मोड़ मगर ॥ बिन तेरे मेरा जीना है सज़ा , जाँ ले ले तू मत दिल तोड़ मगर ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,568