■ मुक्तक : 94 – इस जमाने में हैं Posted on March 10, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments इस ज़माने में हैं कितने ही खड़े लोग पड़े ।। दिखते बाहर से तर-ओ-ताज़ा पर अंदर से सड़े ।। क़ीमती सूट बूट बेश क़ीमती टोपी , क़द दरख़्त-ए-खजूर दिल हैं चूहों जितने बड़े ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,212