■ मुक्तक : 105 – जो कुछ हूँ Posted on March 11, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments जो कुछ हूँ अपनी वज़्ह हूँ , मुझे यही पता ।। फ़िर किसलिए करूँ किसी का शुक्रिया अता ? मिटने का भी जो अपने ख़ुद ही हूँ सबब तो क्यों , औरों को गालियाँ बकूँ , कहूँ बुरा बता ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,244