■ मुक्तक : 107 – कम बहुत ही Posted on March 12, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) कम बहुत ही कम दिखें पर्दानशीं ।। करते हैं अपनी नुमाइश अब हसीं ।। कैट-वाकिंग जब वो गलियों में करें , मनचलों के दिल की हिल उठती ज़मीं ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,185