■ मुक्तक : 117 – सजावट के बिना Posted on March 14, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments सजावट के बिना भी वो ज़माने को लुभाती है ।। बड़ी ख़ामोशियों के साथ दुनिया को बुलाती है ।। अजब है वो ग़ज़ब की ग़मज़दा जो दर्द में भीगी , कुछ ऐसे खिलखिलाती है कि पत्थर को रुलाती है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,604