■ मुक्तक :126 – जिससे होता था आर-पार Posted on March 24, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments जिससे होता था आर-पार , वो कश्ती न रही ।। जिसमें महफ़ूज़ रह रहा था , वो बस्ती न रही ।। आम इंसाँ मैं जी न पाऊँ , न मर भी तो सकूँ , ज़ह्र महँगा हुआ दवा भी , तो सस्ती न रही ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,252