■ मुक्तक : 128 – यक़ीनन लाख झूठा Posted on March 24, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments यक़ीनन लाख झूठा हो मगर सच्चा ही लगता है ।। बड़ा हो फिर भी बेटा बाप को बच्चा ही लगता है ।। किसी से भूलकर कर मत बुराई उसके बच्चे की , किसी का भी हो बच्चा उसको बस अच्छा ही लगता है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,647