■ मुक्तक : 137 – है अभी भी अपना Posted on April 5, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments अब भी है अपना मगर , अपना नहीं लगता हमें ।। जाने क्यों अपना ही घर , अपना नहीं लगता हमें ।। जिसमें हम पैदा हुए , सारी गुज़ारी ज़िंदगी , अब वही प्यारा नगर , अपना नहीं लगता हमें ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,111