■ मुक्तक : 139 – भीगी बिल्ली थी Posted on April 7, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments भीगी बिल्ली थी खौफ़नाक शेरनी अब है ।। कुंद चाकू वो धारदार लेखनी अब है ।। उसने बदला है अपनी शख़्सियत का यों जामा , बेअसर थी जो पहले बाअसर बनी अब है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,147