■ मुक्तक : 143 – जितना भी होगा Posted on April 9, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments जितना भी होगा सारा , वो ख़र्च उठा लूँगा ॥ बिखरा है जो भी उसको , कैसे भी जमा लूँगा ॥ पीछे नहीं हटूँगा , कोशिश ओ मशक़्क़त से , रूठा नसीब अपना , इक दिन मैं मना लूँगा ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,249