■ मुक्तक : 146 – उसका हर इक Posted on April 10, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments उसका हर इक दुकान में खाता उधार रख ।। जो अपना पेट पाल न सकता हो मार रख ।। हो उसकी क़द्र घर में न बाहर कहीं रहे , या रब किसी को भी न तू बेरोज़गार रख ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,540