■ मुक्तक : 150 – ख्व़ाबों से ख़ुद Posted on April 11, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ख़्वाबों से ख़ुद को भरसक हम दूर कर रहे हैं ।। दिल पर हम अपने क़ाबू भरपूर कर रहे हैं ।। क्या चाहते हैं हमको ख़ुद भी पता नहीं सच , जो कुछ भी मिल रहा है मंज़ूर कर रहे हैं ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,576