मुक्तक : 160 – कंकड़ भी मुझको Posted on April 14, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments कंकड़ भी मुझको दुःख के लगते हैं पहाड़ से ॥ सुख तिल समान भासते हों चाहे ताड़ से ॥ , आनंद उठाएँ जैसे लोग प्यार से सभी , तुम वैसे ही उठाओ कष्ट-पीड़ लाड़ से !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 6,269