■ मुक्तक : 163 – मुफ़्लिसी मेरी Posted on April 16, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments मुफ़्लिसी मेरी मिटी मेरी ग़रीबी कम हुई ॥ सच कहूँ तो जबसे मेरी बदनसीबी कम हुई ॥ दोस्त-रिश्तेदार मुझसे पेश यों आने लगे , मुझको लगता है मेरी उनसे क़रीबी कम हुई !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,426