मुक्तक : 166 – सब रामत्व विहीन Posted on April 17, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments सब रामत्व विहीन मारने रावण आए ॥ रक्तबीज सा वह क्यों ना पुनि-पुनि जी जाए ॥ सचमुच हो जो रावण के वध का अभिलाषी , सर्वप्रथम वह स्वयं को पूरा राम बनाए ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 183