■ मुक्तक : 99 – कुछ होते रुपये Posted on April 17, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) कुछ होते रुपये होता कुछ दिमाग़ मेरे पास ॥ जिसको भी बुलाता वो आता भाग मेरे पास ॥ हो जाते झपकते ही पलकें मेरे सभी काम , होता जो अलादीन का चिराग़ मेरे पास ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,197