■ मुक्तक : 169 – अपना है जोड़ना सब Posted on April 18, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments अपना है जोड़ना सब जो भी कुछ है टूटा सा ॥ उसको हर हाल मनाना है जो है रूठा सा ॥ अपनी ख़ातिर तो हूँ जैसा भी ठीक हूँ बख़ुदा , मुझको बनना है किसी के लिए अनूठा सा ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,139