■ मुक्तक : 170 – खुल के दीदार Posted on April 18, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments खुल के दीदार न दो चाहे तुम झरोखे से ।। हम तुम्हें देख ही लेंगे कहीं भी धोख़े से ।। एक जैसे ही लगें सब न ख़ास कोई याँ , तुम ही दिखते हो अनोखे से थोड़े चोखे से ।। – डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,337