मुक्तक : 173 – ट्रेन की भीड़ Posted on April 19, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ट्रेन की भीड़-भाड़ में धँसे गसा-पस में ॥ होके बेखौफ़ ज़माने से टैक्सी बस में ॥ आप शायद न जानते हों लेकिन ऐसे भी , बनते हैं आशिक़ो महबूब ख़ूब आपस में ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 133