■ मुक्तक : 178 – पेटू को जैसे Posted on April 24, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments पेटू को जैसे चटनी-चाट-अचार का चस्का ॥ चारागरों , हकीमों को बीमार का चस्का ॥ जैसे कि जुआरी को जुआ की हो लगी लत , दिन-रात मुझे है तेरे दीदार का चस्का ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,037