■ मुक्तक : 182 – जिन्हें सपनों में Posted on April 26, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments जिन्हें सपनों में भी ना पा सकें उन पर ही मरते हैं !! न जाने कैसी-कैसी कल्पनाएँ लोग करते हैं ? चकोरों को पता है मिल नहीं सकता उन्हें चंदा , वे फिर भी उसको निश भर तक निरंतर आह भरते हैं !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,557