■ मुक्तक :185 – अब न ताक़त Posted on April 29, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments अब न ताक़त न वो चुस्ती न फुर्ती यार रही ॥ उम्र ए पचपन में अठारह की न रफ़्तार रही ॥ जिसने काटा था सलाख़ों को लकड़ियों की तरह , वो मेरे जिस्म की तलवार में न धार रही ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,442