■ मुक्तक : 188 – दुश्मन भी हमसे Posted on May 1, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments दुश्मन भी हमसे बनके हमेशा सगा मिला ॥ हमको कभी वफ़ा न मिली बस दग़ा मिला ॥ जिस दिल को भी चुराने चले शब-ए-स्याह हम , उस दिन ही सारी रात मुझे वो जगा मिला ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,426