■ मुक्तक : 202 – चाँद पे चढ़के Posted on May 10, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments चाँद पे चढ़के समंदर में कूद पड़ जाऊँ ॥ कहके तो देखो मैं सूरज को भी बुझा आऊँ ॥ अपने दिल में जो बसाने का क़ौल दो मुझको , ग़ैरमुम्किन को भी मुम्किन बनाके दिखलाऊँ ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,216