■ मुक्तक : 213 – आहिस्ता-आहिस्ता Posted on May 14, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) आहिस्ता-आहिस्ता औरत निकलेगी पर्दों से ।। उस दिन आगे-आगे होगी आगे के मर्दों से ।। आजिज़ आ ठानेगी जिस दिन छुटकारा पाने की , जुल्म-ओ-सितम से , बंदिश से , लाचारी से , दर्दों से ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,285