■ मुक्तक : 214 – अमावस को भी Posted on May 14, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments अमावस को भी हाँ पूनम की उजली रात लिखता हूँ ॥ न तोड़े जो किसी का दिल कुछ ऐसी बात लिखता हूँ ; मगर गाहे ब गाहे ही । हमेशा तो क़सम ले लो , सज़ा को मैं सज़ा , सौग़ात को सौग़ात लिखता हूँ ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,250