■ चित्र-मुक्तक : 215 – था और कोई Posted on May 15, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) था और कोई इसके सिवा पास न चारा ॥ तब तो लिया है एक खिलौने का सहारा ॥ दिल का गुबार और किस तरह निकालते , होता जो कान देके सुनने वाला हमारा ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,313