मुक्तक : 217 – चार क़दम पर Posted on May 16, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) चार क़दम पर मंज़िल हो तो पहुँचें हम पैदल ॥ छोटी मोटी दूरी पार करें लेकर साइकल ॥ पर्यावरण रखें यों बेहतर सेहत को अच्छा , और बचाएँ नित-नित घटता पेट्रोल और डीज़ल ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 210