■ मुक्तक : 222 – बादल भरी Posted on May 20, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) बादल भरी दुपहरी में घनघोर हो गए ॥ बारिश हुई तो पेड़-पौधे मोर हो गए ॥ सूखे से हलाकान थे इंसान औ’ जानवर , होकर वो तर ब तर मुदित विभोर हो गए ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,244