■ मुक्तक : 230 – कभी भूले जो Posted on May 24, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments कभी भूले जो मेरे साथ तू तनहा सफ़र करता ॥ भले दो डग या मीलों मील का लंबा सफ़र करता ॥ क़सम से सुर्ख़ अंगारों पे तलवारों पे भी चलते , मुझे महसूस होता था मैं जन्नत का सफ़र करता ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,477