मुक्तक : तुम मुझे चाहे मत कभी मिलना Posted on May 25, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments तुम मुझे चाहे मत कभी मिलना ,पर मुझे चाहना न तजना तुम ।। तुम मेरा नाम कोई सूरत हो ,भूलना मत भले न भजना तुम ।। सादगी के तुम्हारी कुछ आगे ,हुस्न वाले कहीं न ठहरें सच ; गर सँवरना हो तो मेरी ख़ातिर ,ग़ैर के वास्ते न सजना तुम ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 383