■ मुक्तक : 231 – उम्र भर खाली Posted on May 25, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments उम्र भर ख़ाली रहा जो वक़्ते रुख़्सत भर गया ॥ इक वो हैरतनाक ऐसा कारनामा कर गया ॥ जिससे बढ़कर और दुनिया में नहींं ख़ुदगर्ज़ था , कल मगर इक अजनबी की जाँ बचाते मर गया ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,522